"तुम साला गुलाम लोग हमारी जुती के निचे ही रहेगा"
फिल्म लगान में एक मग्रुर ब्रिटिश अधिकारी के मुंह से निकला यह वाक्य हमें हमेशा सताता है, क्योंकि " आप गुलामी के लिए ही पैदा हुए हैं यह झूठा इतिहास" हमें प्रभावित करता रहता है...
हाँ... अ-सत्यमेव जयते ! यही चलता आ रहा है... भारत का इतिहास अक्षम्य रूप से बिगाडा गया है... पीढ़ियों को जानबूझकर गुमराह किया गया है... जिस भारत से सोने का धुआँ निकलता था, जिस समृद्ध, गौरवशाली भारत को ढुंढने कोलबंस और वास्को - डी - गामा युरोप से बाहर निकले, भारत, जिसका 18 वीं शताब्दी तक पुरे विश्व के व्यापार में 24 प्रतिशत हिस्सा था, उसके इतिहास को सोच समझकर कलंकित किया गया, हमें मानसिक रूप से अपंग बनाया गया, यह महसूस कराया गया की जो जो भारतीय है वह अभद्र है और सारे भारतीय निकम्में है... सत्य की निरंतर विकृति कर के असत्यमेव जयते का नारा अंधाधुंध लगाया गया...
अभिजित जोग की यह असाधारण विद्वतापूर्ण पुस्तक, जो संदर्भ के साथ सत्य की खोज करती है, असत्य की दीवारों को ध्वस्त करती है, सत्य इतिहास पर जोर देती है...
भारतीय स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष के अवसर पर... यह अभूतपूर्व नई पुस्तक प्रकाशित हो रही है जो आपकी आंखें खोल देगी, आपको आश्चर्यचकित कर देगी, आपको गौरवशाली इतिहास से परिचित कराएगी और आपको भारत के गौरव से अवगत कराएगी...
17 दिसंबर 2022 को अंग्रेजी, हिंदी, गुजराती में प्रकाशित हो रही है ।
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प्रकाशन दिनांक: 17 दिसंबर 2022
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पिछले दो सौ वर्षों से, भारत पर शासन करने वाली विभिन्न शक्तियों ने अपने हितों के लिए भारत के इतिहास में बड़े पैमाने पर विकृतियां पैदा की हैं। विगत कुछ वर्षों में अनेक विद्वान शोधकर्ता इस भ्रांति को दूर करने तथा सत्य इतिहास को सामने लाने का अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य करते रहे हैं। यह पुस्तक भारत के इतिहास में लगातार हो रहे धोखे को प्रदर्शित करने के लिए इस शोध को एक साथ रखकर पाठकों के सामने प्रस्तुत करने का एक प्रयास है।
असत्यमेव जयते...?
लेखक : अभिजित जोग
✒️ आर्यों के आक्रमण का सिद्धांत
✒️ पराभव और अपमान, क्या यही है हमारी पहचान ?
✒️ नकारवाद… जो भाया नहीं, वह हुआ नहीं
✒️ सम्राट अशोक और बादशाह अकबर… सच में कितने महान…
✒️ सूफ़ी… यू टू,?
✒️ भारत का सामाजिक सांस्कृतिक और आर्थिक पिछड़ापन
✒️ चरखा चलने से सूत ज़रूर मिलता है... पर स्वतंत्रता?
✒️ अब यह चर्चा क्यों ?
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भीष्म प्रकाशन
शोध भारत का … बातें भारत की
भीष्म प्रकाशन भीष्म स्कूल ऑफ़ इंडिक स्टडीज का अधिकृत प्रकाशन है…!
भीष्म प्रकाशन का मुख्य उद्देश्य प्राचीन भारतीय विज्ञान, साहित्य, संस्कृति, परंपरा, इतिहास, सभ्यता आदि जैसे भारतीय ज्ञान प्रणालियों से संबंधित विभिन्न विषयों पर विद्वतापूर्ण शोध और संदर्भ पुस्तकें प्रकाशित करना है। भीष्म प्रकाशन का मिशन सकारात्मक, बौद्धिक और विचारप्रवण प्रामाणिक साहित्य जो भारत के बारे में एक उपयुक्त और सही कथन स्थापित करता है; ऐसे साहित्य को प्रकाशित करना है। साथ ही, बड़े पैमाने पर भारत और दुनिया से जुड़े निजी और महत्वपूर्ण विषयों पर भाष्य प्रकाशित करना आवश्यक है। साहित्य जो पाठक को रुचिकर लगे… क्रिया-उन्मुख, प्रेरक, अच्छी तरह से टिप्पणी करने वाले लेखन को प्रकाशित किया जाना चाहिए, ऐसे विषयों से बचना चाहिए जो केवल मनोरंजन करते हैं, समय बिताते हैं और भ्रमित करते हैं। आज भारत एक युवा देश के रूप में विश्व में प्रसिद्ध है। ऐसा लगता है कि युवा अक्सर विभिन्न मीडिया की हड़बड़ी से भ्रमित हो जाते हैं। भीष्म प्रकाशन ने उन पुस्तकों को प्रकाशित करने का निर्णय लिया है जो उन्हें दिशा देती हैं, उन्हें जीवन मूल्यों, आदर्शों, जीवन प्रबंधन और एक सफल जीवन जीने के बारे में मार्गदर्शन करती हैं। भीष्म प्रकाशन तीन भाषाओं - मराठी, हिंदी और अंग्रेजी में पुस्तकों का प्रकाशन करेगा।
भीष्म प्रकाशन के मुख्य मार्गदर्शक प्रो. क्षितिज पाटुकले हैं और प्रबंध निदेशक प्रो. अनिकेत पाटील हैं। विभिन्न विषयों में सलाहकारों, विशिष्ट विशेषज्ञों, विद्वानों और बुद्धिजीवियों का एक समूह भीष्म प्रकाशन को पुस्तक चयन, संपादन, लेआउट, प्रकाशन प्रक्रिया और वितरण में सहायता कर रहा है। पाठक स्वयं भीष्म प्रकाशन के लिए पुस्तक विषय सुझा सकते हैं। यह पाठक प्रतिक्रिया के लिए एक सुविधा के रूप में प्रदान किया जाता है।
भीष्म प्रकाशन भीष्म स्कूल ऑफ़ इंडिक स्टडीज का अधिकृत प्रकाशन हैI भीष्म स्कूल ऑफ इंडिक स्टडीज की स्थापना प्रा. क्षितिज पाटुकले द्वारा की गई थी। यह एक ऐसा संगठन है जो भारतीय इतिहास, संस्कृति, सभ्यता, शिक्षा, प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम विकास, कार्यशालाएं, कैप्सूल पाठ्यक्रम, पूर्व दर्ज पाठ्यक्रम, अनुसंधान, मंदिर, विरासत, भारतीय पर्यटन और प्रकाशन आदि पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम संचालित करता है। संगठन का संकल्प विशेष रूप से ३५ वर्ष से कम आयु के युवाओं को भारतीय ज्ञान, परंपराओं, इतिहास, संस्कृति का पर्याप्त ज्ञान प्रदान करना है।